Working Parent
16 August 2023 को अपडेट किया गया
आधुनिक समय में महिलाओं की हायर एजुकेशन और महत्वाकांक्षी सोच के चलते ज़्यादातर महिलाएं घर से बाहर निकल के काम करने लगीं हैं. कामकाजी होने के कारण जहां महिलाओं को आर्थिक स्वतन्त्रता मिली वहीं ऐसी महिलाएं अपने कैरियर और परिवार के बीच सामंजस्य बैठाने के लिए लगातार जद्दोजहद भी करती रहती हैं.
कामकाजी माता पिता मिलजुल कर घर चलाने की जिम्मेदारियाँ तो सम्हाल लेते हैं लेकिन असली चुनौतियां तब आती है जब परिवार में बच्चे का आगमन होता है और खास तौर पर न्यूक्लियर फैमिली में बच्चे के आने के बाद कामकाजी माता -पिता को अपने वर्किंग आवर्स के दौरान बच्चे की देखभाल की चिंता सताने लगती है.
आइये सबसे पहले समझने की कोशिश करते हैं कि पारिवारिक जीवन के संबंध में कामकाजी माताओं को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
कामकाजी माता -पिता की चुनौतियाँ
कामकाजी माता -पिता की पहली चुनौती ये होती है कि माँ की मैटरनिटी लीव और अन्य छुट्टियाँ खत्म होने के बाद जब वह औफिस जाना शुरू कर देगी तो उस दौरान बच्चे को किसके पास छोड़कर जाएगी. न्यूक्लियर परिवारों में ये सबसे बड़ी समस्या है और इस कारण कई बार पेरेंट्स को बच्चे के 6 से 8 महीने का होते होते किसी भरोसेमंद डे केयर में डालने का ही विकल्प चुनना पड़ता है.
कामकाजी माता -पिता काम की व्यस्तता और दबाव के चलते कई बार बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं जबकि बच्चे रोज़ ही पेरेंट्स का साथ और सानिध्य चाहते हैं. वो हमेशा यही चाहते हैं कि मम्मी पापा में से एक उनके पास रहे, उनके साथ पार्क जाए और पढ़ने में उनकी मदद करे, लेकिन समय की कमी के कारण वर्किंग पैरेंट्स अक्सर ऐसा कर नहीं पाते और बच्चे इस बात की कमी महसूस करते हैं. साथ ही पेरेंट्स को भी इस बात का गिल्ट रहता है.
कामकाजी माता -पिता के साथ दूसरी बड़ी चुनौती है बच्चों की सही परवरिश कैसे की जाए. अक्सर बच्चों को ऐसी गंदी और गलत आदतें लग जाती हैं जिसकी वजह से उनका व्यक्तित्व और यहाँ तक कि भविष्य तक खतरे में पड़ सकता है. वर्किंग पैरेंट्स अक्सर समय और पैरेंटिंग स्किल की कमी के चलते बच्चों पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते और कई बार बच्चों की गलतियों को नज़रअंदाज़ तक कर देते हैं. बच्चे भी इस स्थिति का फायदा उठाते हैं और ऐसे में उनकी गलत आदतों को सुधारना एक बहुत बड़ी चुनौती बन जाता है.
कुछ साल पहले तक ही बच्चे अपने दोस्तों के साथ कई तरह के एक्सटर्नल गेम्स खेलते थे जिससे उनकी सोशल स्किल्स और हेल्थ दोनों अच्छी रहती थी. लेकिन वीडियो गेम, टीवी, और कंप्यूटर के युग में बच्चे बाहर जाने के बजाय घर के अंदर ज्यादा रहते हैं, जिसके कारण उनकी हेल्थ और इमम्युनिटी के साथ ही सोशियल बॉंडिंग की आदत भी ठीक से विकसित नहीं हो पाती.
पुराने समय में टीवी देखने का मतलब हफ्ते के किसी एक दिन परिवार के साथ बैठकर देखने वाला कोई प्रोग्राम. जबकि आज तेजी से बदल रही टेक्नोलौजी के जमाने में हर तरह की जानकारी वेब पर उपलब्ध है और पेरेंट्स के लिए इस बात पर कंट्रोल रखना वाकई बड़ी चुनौती है कि बच्चा नेट पर किस तरह की बातें देख सुन कर सीख रहा है.
तो ये तो थी वो चुनौतियाँ जो कामकाजी पेरेंट्स के सामने आती हैं. ऐसे में कुछ लोग ये भी मानते हैं कि अगर माँ पढ़ी लिखी और कामकाजी हो तो वो बच्चों की ज्यादा अच्छी परवरिश कर पाती है क्योंकि उसे अधिकतर बातों की समझ खुद ही होती हैं और वो आर्थिक रूप से भी बच्चों की जरूरतों पर ध्यान दे पाती है.
आइये समझते हैं कि कामकाजी माताएं बेहतर क्यों होती हैं?
इसे कई पर्सपेक्टिव्स से समझा जा सकता है जैसे कि
कामकाजी माताएँ घर, परिवार और बच्चों की ज़िम्मेदारी एक साथ उठाती हैं जिसके लिए उन्हें टाइम मैनेजमेंट और कामों की प्लानिंग को बहुत ही सधे हुए तरीके से करना होता है. इस लिहाज से वो ज्यादा और्गनाइज्ड होती हैं और उनके बच्चे भी इस आदत का हिस्सा होते हैं.
कामकाजी माताएँ ज्यादा आत्मनिर्भर होती हैं और अपने बच्चों को भी छोटे छोटे कामों की आदत शुरू से ही डाल देती हैं. ये बच्चे समय के साथ आत्मनिर्भर होना जल्दी सीखते हैं.
माँ के कामकाजी होने पर बच्चा परिवार में स्त्री और पुरुष की बराबरी का माहौल देखता है और ऐसे माहौल में स्त्रियॉं के प्रति उसकी सोच ज्यादा खुली हुई होती है.
बच्चे अक्सर घर के छोटे छोटे कामों में माँ की हेल्प करते हैं जिससे उनकी लाइफ स्किल्स डेव्लप होती हैं जो आगे चलकर काम आती हैं.
अधिकतर वर्किंग मदर्स ज्यादा संतुष्ट जीवन जीती हैं जिसमें परिवार के साथ अपने कैरियर को सफलतापूर्वक चलाने की खुशी सम्मिलित होती है.
आर्थिक रूप से सक्षम होने के कारण बच्चों की जरूरतों में कमी नहीं होने देतीं और उनकी शिक्षा और भविष्य को बेहतर बनाने में सपोर्ट करती हैं.
क्या कामकाजी माताओं को विशेष विशेषाधिकार दिए जाने चाहिए
जब हम कामकाजी माताओं की बात करते हैं तो हमें कई सारी चुनौतियाँ दिखाई देती हैं जो हमने इस पोस्ट में ऊपर बताई. ऐसे में महिलाओं को घर और बाहर की दोहरी ज़िम्मेदारी का भली प्रकार निर्वाह करने में सहायता देने के लिए कुछ विशेषाधिकार देना एक अच्छी और सकारात्मक पहल है. परिवार के सदस्यों को कामकाजी माँ को पूरा सपोर्ट करना चाहिए. इसके अलावा भारत सरकार द्वारा भी महिलाओं के हित में कई तरह के कानून पारित किए गए हैं जिसमें समान वेतन या ईक़्वल रेम्यूनरेशन ऐक्ट, प्रेवेंशन ऑफ सेक्सुएल हैरेसमेंट के साथ ही मैटरनिटी बेनीफिट जैसे ऐक्ट लागू किए गए हैं जिसमें नई मां के प्रसव के बाद 12 हफ्ते यानि कि (तीन महीने) की छुट्टी का प्रावधान था जिसे रिवाइज़ कर सरकार ने अब 26 हफ्ते कर दिया है. इसके अलावा अडौप्शन और मिसकैरेज होने की स्थिति में भी सुविधाएं दी जाती हैं. ऐसे सभी मामलों में महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती. छुट्टी पूरी होने के बाद वो फिर से काम शुरू कर सकती है और तब उसके छोटे शिशु के लिए संस्था द्वारा क्रेच या डे केयर की व्यवस्था करने का नियम भी सरकार द्वारा बनाया गया है.
Yes
No
Written by
Priyanka Verma
Priyanka is an experienced editor & content writer with great attention to detail. Mother to an 11-year-old, she's a ski
Read MoreGet baby's diet chart, and growth tips
Home Remedies for Cough & Cold during Pregnancy in Hindi | प्रेग्नेंसी में सर्दी-खाँसी से राहत देंगे ये घरेलू उपाय!
Period During Breastfeeding in Hindi | ब्रेस्टफ़ीडिंग के दौरान कैसे होते हैं पीरियड्स?
Top 10 Pakistani Drama in Hindi | टॉप 10 पाकिस्तानी ड्रामा जिन्होंने भारत में मचाई है धूम!
Symptoms of Obsessive Compulsive Disorder in Hindi | ओसीडी क्या है और क्या होते हैं इसके लक्षण?
Bleeding During Pregnancy in Hindi | क्या प्रेग्नेंसी में भी होती है ब्लीडिंग?
Can Sex in Third Trimester Affect Baby in Hindi | क्या प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में सेक्स करना सुरक्षित होता है?
Mylo wins Forbes D2C Disruptor award
Mylo wins The Economic Times Promising Brands 2022
At Mylo, we help young parents raise happy and healthy families with our innovative new-age solutions:
baby carrier | baby soap | baby wipes | stretch marks cream | baby cream | baby shampoo | baby massage oil | baby hair oil | stretch marks oil | baby body wash | baby powder | baby lotion | diaper rash cream | newborn diapers | teether | baby kajal | baby diapers | cloth diapers |