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    Hormonal Imbalance in Men in Hindi | पुरुषों के भी होते हैं हार्मोन्स असंतुलित, जानें क्या होते हैं कारण!

    Male Infertility

    Hormonal Imbalance in Men in Hindi | पुरुषों के भी होते हैं हार्मोन्स असंतुलित, जानें क्या होते हैं कारण!

    29 September 2023 को अपडेट किया गया

    ऐसा नहीं है कि हार्मोन्स सिर्फ़ महिलाओं के ही असंतुलित होते हैं. पुरुषों को भी असंतुलित हार्मोन्स का सामना करना पड़ता है. इस आर्टिकल में जानें कि आख़िर हार्मोन्स असंतुलित होने का अर्थ क्या होता है और इसके कारण पुरुषों को किस तरीक़े के कॉम्प्लिकेशन का सामना करना पड़ सकता है!

    हार्मोनल असंतुलन क्या है? (What is hormonal imbalance in men in Hindi)

    पुरुषों में हार्मोनल असंतुलन का अर्थ है उनके विभिन्न हार्मोन्स में अब्नॉर्मल तरीके़ से उतार-चढ़ाव आना या उनका प्रोडक्शन न होना. ये हार्मोन हैं टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रोजन और थायराइड जो अच्छी हेल्थ और बॉडी के विभिन्न ऑर्गन्स को रेगुलेट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जब इनका संतुलन गड़बड़ा जाता है, तो इससे कई तरह के फ़िजिकल और इमोशनल लक्षण पैदा होने लगते हैं. इन लक्षणों के बारे में जानने से पहले आइये जानते हैं पुरुषों में हार्मोनल असंतुलन (Hormonal imbalance in men in Hindi) के कुछ कारणों के बारे में.

    पुरुषों में हार्मोन्स अंसतुलित होने के कारण (Causes of hormonal imbalance in men in Hindi)

    पुरुषों में हार्मोन की गड़बड़ी के कारणों में मुख्य हैं- थायराइड इंबैलेंस, थकान, एंड्रोपॉज और डायबिटीज. आइये इनके बारे में डिटेल में जानते हैं.

    1. हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism)

    हाइपरथायरायडिज्म जिसमें थायराइड ग्रंथि के नॉर्मल से ज़्यादा एक्टिव होने के कारण थायराइड हार्मोन का प्रोडक्शन बढ़ जाता है और इस वजह से हार्मोनल असंतुलन पैदा हो जाता है. पुरुषों में, हाइपरथायरायडिज्म होने पर विशेष रूप से टेस्टोस्टेरोन के स्तर में गड़बड़ी आने लगती है जिससे सेक्स ड्राइव में कमी, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (erectile dysfunction), थकान, मांसपेशियों में कमज़ोरी और मूड स्विंग्स जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं.

    2. हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism)

    हाइपोथायरायडिज्म में थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) का प्रोडक्शन बंद हो जाता है और इनकी कमी से बॉडी के सामान्य फंक्शन में कई तरह के डिस्टरबेंस शुरू हो जाते हैं; जैसे- मेटाबोलिज़्म और एनर्ज़ी लेवल में बेहद कमी आना. इसके अलावा टेस्टोस्टेरोन लेवल कम हो जाना, सेक्स ड्राइव में कमी और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के अलावा हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्लेण्ड पर ख़राब असर के साथ ही कई बार प्रोलैक्टिन का लेवल भी बढ़ जाता है जिसे अन्य समस्याएँ होने लगती हैं.

    3. एंड्रोपॉज (Andropause)

    एंड्रोपॉज़ को मेल मेनोपॉज या देर से शुरू होने वाला हाइपोगोनाडिज्म (late-onset hypogonadism) भी कहा जाता है जिसका मतलब है टेस्टोस्टेरोन के स्तर में धीरे-धीरे आने वाली गिरावट. हालाँकि, सभी पुरुष एंड्रोपॉज़ से नहीं गुज़रते हैं लेकिन कई के साथ यह अक्सर 40 या 50 की उम्र के आसपास शुरू हो जाता है. आमतौर पर यह मध्यम आयु वर्ग से लेकर बड़ी उम्र के पुरुषों में होता है. इसके कारण सेक्स ड्राइव में कमी, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, थकान और सहनशक्ति में कमी के अलावा मूड स्विंग्स भी हो सकते हैं. टेस्टोस्टेरोन माँसपेशियों को मज़बूत बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और इसके कम होने पर माँसपेशियों की ताकत घटने लगती है. एंड्रोपॉज के कारण पेट के आसपास फैट जमा हो सकता है और इससे बोन डेंसिटी पर असर पड़ने के कारण ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा भी बढ़ जाता है.

    4. डायबिटीज (Diabetes)

    डायबिटीज होने पर पुरुषों में इंसुलिन की कमी हो जाती है जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने का काम करता है. टाइप 1 डायबिटीज में, जहाँ पेंक्रियाज़ इंसुलिन बनाना बंद कर देते हैं वहीं टाइप 2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन रेसिस्टेंट हो जाता है. इंसुलिन सिग्नलिंग में गड़बड़ी होने पर अन्य हार्मोन्स के काम में भी गड़बड़ियाँ आने लगती हैं. ब्लड शुगर के उतार-चढ़ाव से टेस्टोस्टेरोन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन्स प्रभावित होते हैं जो एनर्ज़ी लेवल, सेक्शुअल फंक्शन के साथ साथ ओवर ऑल हेल्थ को प्रभावित करते हैं.

    पुरुषों में हार्मोन्स अंसतुलित होने के लक्षण (Symptoms of hormonal imbalance in men in Hindi)

    अब बात करेंगे पुरुषों में हार्मोनल इंबैलेंस के लक्षणों की. हार्मोनल असंतुलन के सही ट्रीटमेंट के लिए सबसे पहले इसके अंडरलाइन कारण की पहचान करना ज़रूरी है. आगे बताये जाने वाले कुछ लक्षण देखकर इसकी पहचान करने में मदद मिल सकती है.

    1. लगातार रहने वाली थकान और लो एनर्ज़ी लेवल
    2. सेक्स ड्राइव में कमी या सेक्शुअल डिस्फंक्शन
    3. वज़न बढ़ाने या कम करने में कठिनाई होना
    4. मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन और एंग्जाइटी
    5. बालों का झड़ना या पतला पड़ना
    6. मुँहासों का निकलना
    7. नींद न आना या गहरी नींद सोने में दिक्कत
    8. पसंदीदा टेस्ट में बदलाव आना
    9. ड्राई स्किन और भुरभुरे नाखून
    10. माँसपेशियों में कमज़ोरी और मसल मास का घटना
    11. मेमोरी प्रॉब्लम और फोकस न कर पाना
    12. ठंड या गर्मी के प्रति सेंसिटिविटी का बढ्ना
    13. पुरुषों में गाइनेकोमेस्टिया (gynecomastia) यानी कि स्तनों का बढ्ना
    14. इंफर्टिलिटी
    15. ऑस्टियोपोरोसिस

    इनमें से कोई भी एक या अधिक लक्षणों का अनुभव करने का मतलब यह नहीं है कि हार्मोनल असंतुलन है. लेकिन लगातार बने रहने पर ये लक्षण हार्मोन से जुड़ी गड़बड़ियों के डाइग्नोसिस के लिए संकेत का काम करते हैं.

    असंतुलित हार्मोन्स का पुरुषों की सेहत पर असर (Effects of hormonal imbalance on Men's Health in Hindi)

    हार्मोनल असंतुलन के कारण पुरुषों को कई तरह की दिक्कतें पैदा होने लगती हैं; जैसे कि-

    1. टेस्टोस्टेरोन के घट जाने से सेक्स ड्राइव में कमी, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और सेक्स परफार्मेंस में कमी आने लगती है.
    2. मेल फर्टिलिटी से जुड़ी दिक्कतें जिससे स्पर्म काउंट, मोबिलिटी और क्वालिटी में कमी आ सकती है.
    3. हार्मोनल असंतुलन के कारण मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, एंग्जाइटी और यहां तक कि डिप्रेशन की समस्या होना.
    4. टेस्टोस्टेरोन से जुड़े असंतुलन के कारण मसल मास में कमी आना और थकान (Fatigue) बने रहना.
    5. पेट में चर्बी का बढ़ना जो अन्य कई हेल्थ इशूज़ का रिस्क भी बढ़ा देता है.
    6. टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन में गड़बड़ी से बोन डेंसिटी का घटना जिससे ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का रिस्क बढ़ जाता है.
    7. टेस्टोस्टेरोन के घटने से हार्ट प्रॉब्लम और हाई बीपी जैसी समस्याओं का रिस्क बढ् जाना.
    8. हार्मोनल इंबैलेंस से अनिद्रा या नींद से संबंधित अन्य समस्याएँ भी हो सकती हैं.
    9. मेमोरी और फोकस से संबंधित समस्या होना

    इसे भी पढ़ें : स्पर्म काउंट कम होने पर दिखते हैं इस तरह के संकेत!

    हार्मोनल असंतुलन का इलाज (Treatment of hormonal imbalance In male in Hindi)

    1. टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (Testosterone Replacement Therapy (TRT)

    टेस्टोस्टेरोन के कम प्रोडक्शन होने पर हार्मोनल बैलेंस लाने और इस से जुड़ी समस्याओं में राहत के लिए टीआरटी को जेल (gel), इंजेक्शन, पैच या पैलेट्स (pellets) के द्वारा दिया जाता है.

    2. दवाएँ (Medications)

    हार्मोनल इंबैलेंस के कारण का पता लगाने के बाद या तो हार्मोन की पूर्ति करने वाली या किसी अन्य हार्मोन के इफ़ेक्ट को रोकने वाली दवाएँ दी जाती हैं.

    3. जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle Changes)

    नियमित व्यायाम, संतुलित पोषण, तनाव प्रबंधन और पर्याप्त नींद सहित स्वस्थ जीवन शैली अपनाने से हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है.

    4. अन्य बीमारियाँ (Underlying Conditions)

    डाइबिटीज, थायराइड, या पिट्यूटरी ग्लैंड से जुड़ी स्थितियों का इलाज करने से भी हार्मोन के लेवल को सामान्य करने में मदद मिलती है.

    5. हार्मोन प्रोड्यूसिंग ट्यूमर का उपचार (Hormone-Secreting Tumor Treatment)

    यदि हार्मोनल असंतुलन किसी ऐसे ट्यूमर के कारण है जो एक्सट्रा हार्मोन का प्रोडक्शन कर रहा है, तो उसे कंट्रोल करने के लिए सर्जरी, रेडिएशन या दवाएँ दी जाती हैं.

    प्रो टिप (Pro Tip)

    हार्मोनल इंबैलेंस के लक्षणों से जूझ रहे पुरुषों बिना देर किए डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए साथ ही लाइफस्टाइल में ज़रूरी बदलाव से आप दोगनी स्पीड से रिकवर हो सकते हैं. हालाँकि हार्मोन थेरेपी की ज़रूरत होने पर इसे हमेशा किसी अनुभवी डॉक्टर के सुपरविज़न में ही लेना चाहिए.

    रेफरेंस

    1. Kumar P, Kumar N, Thakur DS, Patidar A. (2010). Male hypogonadism: Symptoms and treatment.

    2. Ranabir S, Reetu K. (2011). Stress and hormones.

    3.VandeVord PJ, Sajja VS, Ereifej E, Hermundstad A, Mao S, Hadden TJ. (2016). Chronic Hormonal Imbalance and Adipose Redistribution Is Associated with Hypothalamic Neuropathology following Blast Exposure.

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    Hormonal imbalance in men

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