Conception Myths & Facts
22 September 2023 को अपडेट किया गया
हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) के कारण पुरुषों में कमज़ोरी आती है, इसके कारण वे सेक्स के प्रति रुचि नहीं लेते हैं और यहाँ तक कि इसके कारण इनफर्टिलिटी तक की समस्या हो जाती है और भी न जाने क्या-क्या! मास्टरबेशन (Masturbation) को लेकर इस तरह की कई बातें फैली हुई हैं. यक़ीनन कभी न कभी आपने भी ऐसी बातें सुनी होगी. तो चलिए इस आर्टिकल के ज़रिये जानते हैं कि इन बातों में आख़िर कितनी सच्चाई है. लेकिन इससे पहले कि हम आर्टिकल में आगे बढ़े हम आपको बताना चाहते हैं कि मास्टरबेशन महिला और पुरुष दोनों की ज़रूरत हो सकता है. लेकिन कोई मास्टरबेशन करना चाहता है या नहीं यह पूरी तरह से उसका निजी मामला है.
तो चलिए सबसे पहले बात करते हैं कि मास्टरबेशन (Masturbation meaning in Hindi) क्या होता है. कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो हस्तमैथुन शब्द पहली बार 18वीं सदी में सामने आया था. लेकिन तब से लेकर आज तक इसे नैतिक रूप पर ग़लत ठहराया गया है.
हस्तमैथुन (Hastmaithun) एक ऐसी क्रिया है, जिसमें ख़ुद के प्राइवेट पार्ट्स को उत्तेजित करके यौन संतुष्टि की जाती है. जब कोई पुरुष इस क्रिया को करते हैं, तो वह पेनिस को उत्तेजित करके ऑर्गेज्म तक पहुँचने की कोशिश करते हैं. महिला और पुरुष दोनों के द्वारा यह क्रिया की जाती है.
मास्टरबेशन को लेकर कुछ कॉमन मिथ कुछ इस प्रकार हैं;
मास्टरबेशन को लेकर सबसे पहला मिथ यह है कि जो पुरुष यह क्रिया करते हैं, उनके प्राइवेट पार्ट को इससे नुक़सान होता है. उनका पेनिस सिकुड़ जाता है, लेकिन असल में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. हालाँकि, बहुत ज़्यादा एक्सपेरिमेंट करने पर जलन या इचिंग हो सकती है.
कुछ लोग सप्ताह में 3 से 4 बार मास्टरबेशन करने में रुचि लेते हैं, वहीं कुछ लोग इसे हर दिन भी करना पसंद करते हैं. ऐसे में कोई कितनी बार इस क्रिया को कर सकता है, इसका कोई तय नियम नहीं है. लेकिन यह कहना ग़लत होगा कि मास्टरबेशन कोई ऐसी चीज़ है, जिसकी लत लग जाती हो. हालाँकि, अगर इसके कारण आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी प्रभावित होने लगे, तो ऐसे में आपको एक बार काउंसलर से इस बारे में बात करना चाहिए. कई बार लोग ख़ुद को ग़लत समझने लगते हैं और बुरा महसूस करने लगते हैं.
इसे भी पढ़ें : क्या महिलाएँ भी करती हैं मास्टरबेशन?
सेक्स और मास्टरबेशन दोनों ही अलग-अलग है. इन दोनों को एक दूसरे से जोड़कर देखना ग़लत है. भले ही मास्टरबेशन से ऑर्गेज्म तक पहुँचा जा सकता है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि इसका सेक्स लाइफ पर नेगेटिव असर होता है. इंटरकोर्स के दौरान महिला और पुरुष दोनों ही अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया देते हैं.
यह कहना ग़लत है कि जो लोग मास्टरबेट करते हैं, वे अपने पार्टनर को धोखा देते हैं. ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. रिलेशनशिप में रहने के बाद भी मास्टरबेशन किया जा सकता है. इसका आपके रिलेशनशिप पर कोई नेगेटिव असर नहीं होगा; बल्कि इसके ज़रिये आप अपनी शारीरिक ज़रूरत को बेहतर तरीक़े से समझ पाते हैं. इससे आपका आपके पार्टनर के साथ इमोशनल बॉन्ड और मज़बूत होता है.
कुछ लोगों का मानना है कि मास्टरबेशन करने से मानसिक स्थिति पर नेगेटिव असर होता है. जबकि असल में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. मास्टरबेशन करने से तनाव दूर होता है और इससे आप अधिक रिलेक्स महसूस करते हैं.
मास्टरबेशन को लेकर यह एक बहुत ही बड़ा मिथ है कि यह केवल सिंगल लोगों के लिए है. असल में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. शादीशुदा लोग भी यह करते हैं, क्योंकि शादी का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि शादीशुदा कपल हर दिन ही सेक्स करता हो, क्योंकि ज़रूरी नहीं है कि दोनों पार्टनर की सेक्शुअल डिज़ायर एक जैसी ही हो.
मास्टरबेशन को लेकर एक आम मिथ यह भी है कि इसका असर फर्टिलिटी क्षमता पर होता है. इसके कारण पुरुषों में इनफर्टिलिटी की समस्या होती है. बता दें कि इस बात में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है.
मास्टरबेशन को लेकर एक मिथ यह भी है कि इसे करने से प्राइवेट पार्ट्स के आसपास अनचाहे बाल उगने लगते हैं. जबकि असल में ऐसा नहीं है. यह पूरी तरह से एक मिथ है.
ध्यान रखें हर इंसान की शारीरिक ज़रूरतें अलग हो सकती हैं. ऐसे में अगर आप मास्टरबेशन जैसी क्रिया करते हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है. ख़ुद में अपराधबोध का भाव न आने दें. मास्टरबेशन एक हेल्दी फिजिकल फंक्शन है. हालाँकि, मास्टरबेशन करना या न करना आपका निजी फ़ैसला है.
रेफरेंस
1. Lidster CA, Horsburgh ME. (1994). Masturbation--beyond myth and taboo.
2. Kaestle CE, Allen KR. (2011). The role of masturbation in healthy sexual development: perceptions of young adults.
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Written by
Jyoti Prajapati
Jyoti is a Hindi Content Writer who knows how to grip the audience with her compelling words. With an experience of more
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