Postnatal Care
8 August 2023 को अपडेट किया गया
प्रेग्नेंसी में होने वाले हौर्मोनल बदलावों के कारण उन नौ महीनों के दौरान और डिलीवरी के बाद बालों और त्वचा में काफी असर पड़ता है लेकिन अच्छी बात ये है कि कुछ आसान से टिप्स अपनाने पर ये बदलाव समय के साथ धीरे धीरे चले जाते हैं. इसलिए स्किन और बालों की उचित देखभाल करें जिससे आप अपना पुराना आत्मविश्वास और चमक आसानी से दोबारा वापस पा सकती हैं.
प्रेग्नेंसी के नौ महीने मेंटल और फिजिकल चेंजेज़ के रौलर कौस्टर की तरह हैं जिसके कारण आपको कई तरह की स्किन और हेयर प्रौब्लम्स हो सकती हैं. आइये जानते हैं डिलीवरी के बाद किस तरह की प्रौब्लम्स हो सकती हैं.
मुहाँसे या ऐक्ने प्रेग्नेंसी से जुड़ी एक आम समस्या है और यह बढ़े हुए प्रोजेस्टरोन लेवल के कारण होता है. बढ़े हुए हार्मोन्स के कारण स्किन ज़रूरत से ज्यादा सीबम बनाने लगती है जिससे डेड स्किन और अन्य गंदगी मिल कर स्किन के रोम छिद्रों को बंद कर देती है और ऐक्ने ब्रेकआउट हो जाता है.
दिन में दो बार अपने चेहरे को किसी ऐसे क्लींजर से साफ करें जो आपकी स्किन टाइप को सूट करता हो. इसके लिए त्वचा को पोषण देने वाले तत्व जैसे कि एलोवेरा और नीलगिरी जैसे लाइट प्रोडक्ट्स का प्रयोग करना चाहिए. शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए खूब सारा पानी पिएं ताकि शरीर से टौक्सिन्स बाहर निकल सकें. इसके अलावा फेस क्रीम के साथ एक टी ट्री बेस्ड फेस टोनर का उपयोग आपकी स्किन को गहराई तक प्योरिफ़ाई करता है. इसके प्रयोग से त्वचा से एक्सट्रा ऑइल हट जाता है और त्वचा डिटॉक्सीफाई होती है जिससे मुंहासों से राहत मिलती है.
ये प्रेग्नेंसी में आपके शरीर के तेजी से बढ्ने के कारण होते हैं. वेट बढ्ने के कारण स्किन की सतह के नीचे के फाइबर बेहद ज्यादा खिंचने की वजह से टूट जाते हैं और इससे स्ट्रेच मार्क्स हो जाते हैं. ये स्ट्रेच मार्क्स खास तौर पर स्तनों, पेट, कमर और जांघों के आस पास होते हैं. इनसे बचने के लिए आप को ये ध्यान रखना होगा कि आप अपने वजन को बेहद तेजी से बढ्ने से रोकें क्योंकि वजन का तेजी से बढ़ना ही स्ट्रेच मार्क्स होने का मुख्य कारण है.
स्ट्रेच मार्क्स से निपटने का थंब रूल ये है कि आपको शुरुआत में ही उनसे बचाव करना है. जैसे ही आपकी प्रेग्नेंसी कनफर्म होती है उसी समय से अपनी ब्रेस्ट और पेट और उसके आस पास के हिस्सों में औलिव औइल या और्गन औइल लगाना शुरू कर दें.
इसके लिए आप माइलो केयर स्ट्रेच मार्क्स क्रीम भी आज़मा सकते हैं जो शिया बटर, मैंगो बटर और कोकम के गुणों से भरी हुई है और स्किन को हाइड्रेटेड रखने और उसके मौइश्चर को बनाए रखने में बेहद मदद करती हैं. इससे स्ट्रेच मार्क्स नहीं होने पाते. इसके साथ ही कुछ हल्के व्यायाम और योग आसान का अभ्यास भी स्ट्रेच मार्क्स को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं.
यह समस्या डिलीवरी के बाद ज़्यादातर देखने को मिलती है. प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोन्स का लेवल बढ्ने का फायदा बालों को मिलता है और उनका झड़ना कम हो जाता है लेकिन प्रसव के बाद इनका लेवल जैसे ही नौर्मल होता है हेयर ग्रोथ साइकिल भी नौर्मल होने लगता है. इस के बाद बालों के झड़ने के समस्या सामने आने लगती है. आपको ये असामान्य लग सकता है लेकिन ऐसा होना पूरी तरह से नौर्मल है। इस दौरान बालों का झड़ना एक टेम्प्रेरी फेज़ है और डिलीवरी के 6-12 महीनों के भीतर ये सामान्य होने लगते हैं.
हेयर फ़ौल को रोकने के लिए नियमित रूप से ऐसा पौष्टिक आहार लें जो एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर हो. ऐसा आहार बालों की जड़ों को मजबूत करने में मदद करता है. इसके अलावा अपनी स्कैल्प को किसी माइल्ड शैम्पू से धोएं और टूटने से बचाने के लिए उन्हें कंडीशन भी करें. लेकिन अगर आपके बालों की स्थिति ज्यादा खराब हो जाती है तो फिर डॉक्टर से परामर्श लें और वे बालों की ग्रोथ को बढ़ाने और सभी तरह के नुकसान को रोकने के लिए हेयर सप्लिमेंट्स के उपयोग की सलाह दे सकते हैं.
मेलास्मा स्किन की एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा पर काले और भूरे धब्बे उभरने लगते हैं. प्रेग्नेंसी में एस्ट्रोजन लेवल में होने वाले उतार चढ़ाव जो खास तौर पर दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर के दौरान ज्यादा होते हैं इनकी वजह से त्वचा पर काले धब्बे पैदा हो जाते हैं.
मेलास्मा की समस्या होने पर सबसे पहले आपको धूप के सीधे संपर्क में आने से बचना चाहिए क्योंकि इससे काले धब्बे बढ़ सकते हैं. घर से बाहर निकालने हुए हमेशा सनस्क्रीन लोशन का उपयोग करें खास तौर पर उन हिस्सों पर जो सूर्य के प्रकाश से अधिक प्रभावित होते हैं जैसे कि माथा, नाक, गाल, ठुड्डी और होंठ. अमूमन डिलीवरी के लगभग एक साल बाद चेहरे पर धब्बे कम होने लगते हैं और धीरे धीरे गायब हो जाते हैं. आप अपने आहार में फलों को नियमित रूप से खाएं इससे भी पिगमेंटेशन कम होता है. इसके साथ ही आप फलों के अर्क वाले फेस सीरम का उपयोग करना शुरू करें क्योंकि विटामिन सी त्वचा को स्वस्थ रखने और रंगत में निखार लाने में मदद करता है और इससे काले धब्बे, रूखी त्वचा और अनइवन स्किनटोन की समस्या से भी राहत मिलती है.
ये भी पढ़े : डिलीवरी के बाद होने वाली बदहजमी की समस्या
डार्क सर्कल या सूजी हुई आंखें मुख्यतःहार्मोनल परिवर्तन और बच्चे के जन्म के बाद नींद में कमी आने के कारण होने लगती हैं. इसके अलावा गर्भावस्था के कारण होने वाली शारीरिक थकान और शरीर में एक्सट्रा फ्लुइड्स के जमा हो जाने के कारण कई महिलाओं को बैगी आइज़ की समस्या भी होने लगती है.
आपकी डिलीवरी के कुछ हफ्तों के बाद ही पफ़ी आइज़ कम होने लगेंगी. इसके अलावा आप दिन में कई बार कोल्ड कंप्रेस, कोल्ड टी बैग्स या ठंडे खीरे को आँखों के ऊपर लगाएँ जिससे ये और भी जल्दी ठीक हो जाएंगे.
Yes
No
Written by
Kavita Joshi
Get baby's diet chart, and growth tips
Maternity Leave in Hindi | मैटरनिटी लीव क्या होती है और यह कितने दिन की होती है?
Is It Safe to Use Laptop or Computer During Pregnancy | क्या प्रेग्नेंसी में लैपटॉप या कम्यूटर इस्तेमाल करना सुरक्षित है?
Vagina Care After Delivery in Hindi | डिलीवरी के बाद वेजाइना की कैसे करें केयर?
Breastfeeding and Formula Feeding Schedule in Hindi | स्तनपान और फॉर्मूला फ़ीडिंग शेड्यूल कैसा होना चाहिए?
Bending After C-Section in Hindi | सी-सेक्शन के बाद आप कब से झुक सकती हैं?
What to Eat After C-Section For Fast Recovery in Hindi |सी-सेक्शन के बाद जल्दी रिकवर होने के लिए क्या खाएँ?
Mylo wins Forbes D2C Disruptor award
Mylo wins The Economic Times Promising Brands 2022
At Mylo, we help young parents raise happy and healthy families with our innovative new-age solutions:
baby carrier | baby soap | baby wipes | stretch marks cream | baby cream | baby shampoo | baby massage oil | baby hair oil | stretch marks oil | baby body wash | baby powder | baby lotion | diaper rash cream | newborn diapers | teether | baby kajal | baby diapers | cloth diapers |