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  • प्रीमेच्योर बेबी का ध्यान रखने के लिए अपनाएं ये टिप्सआपके प्रीमैच्योर बेबी की देखभाल के लिए पाँच काम के टिप्स. पढ़िये इस लेख में प्रीमैच्योर बेबी की देखभाल किस तरह करनी चाहिए? इससे जुड़ी कुछ सलाह आपके प्रीमैच्योर बेबी की एक्सट्रा केयर से जुड़ी हुई कुछ बेहद काम की बातें. arrow

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    Premature Babies

    प्रीमेच्योर बेबी का ध्यान रखने के लिए अपनाएं ये टिप्सआपके प्रीमैच्योर बेबी की देखभाल के लिए पाँच काम के टिप्स. पढ़िये इस लेख में प्रीमैच्योर बेबी की देखभाल किस तरह करनी चाहिए? इससे जुड़ी कुछ सलाह आपके प्रीमैच्योर बेबी की एक्सट्रा केयर से जुड़ी हुई कुछ बेहद काम की बातें.

    4 April 2023 को अपडेट किया गया

    लगभग सभी यह बात जानते हैं कि प्रीमैच्योर बेबी बहुत कमज़ोर होते हैं और इनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता भी काफी कम होने के कारण इन्हें स्पेशल केयर की ज़रूरत पड़ती है. यहाँ हम लाये हैं कुछ ऐसे टिप्स जो आपको आपके प्रीमैच्योर बेबी की देखभाल करने में काफी मदद करेंगे.

    1. पर्याप्त मात्रा में दें न्यूट्रिशन

    प्रीमैच्योर बेबी का वज़न अक्सर काफी कम होता है इसलिए उन्हें सामान्य से ज़्यादा पोषण की ज़रूरत होती है. इसके लिए माँ का दूध अमृत समान है. प्रीमैच्योर शिशु को माँ का ही दूध दें. गाय-भैंस का दूध बिलकुल ना दें.

    2. इन्फेक्शन से बचाएं

    इमम्युनिटी कम होने के कारण प्रीमैच्योर शिशु को इन्फेक्शन का खतरा अधिक रहता है इसलिए अपने घर को और खुद को हमेशा बेहद साफ़ सुथरा रखें और शिशु को डस्ट इत्यादि से भी बचाएं.

    3. रेगुलर चेकअप

    प्रीमैच्योर शिशु की एक्स्ट्रा केयर के रूटीन के तहत उसकी सही ग्रोथ की जानकरी लेने के लिए डॉक्टर से रेगुलर चेकअप करना आवश्यक है. हल्का सर्दी-ज़ुकाम भी उसके लिए गंभीर संक्रमण का कारण बन सकता है इसलिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें.

    4. कंगारू केयर करें

    कोई भी शिशु अपनी माँ के पास सबसे ज़्यादा सुरक्षित महसूस करता है. इस मामले में प्रीमैच्योर शिशु के लिए कंगारू केयर का धारणा बेहतरीन काम करती है जिसमें उसे हमेशा अपनी माँ की छाती से चिपका के रखा जाता है और वह उसके दिल की धड़कन सुनता रहता है. इससे उसको गर्माहट मिलती है और वो खुद को सुरक्षित भी महसूस करता है. यह चीज़ प्रीमैच्योर शिशु के विकास में काफी लाभदायक साबित हो सकती है.

    5. शिशु के साथ बितायें ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त

    माँ का स्पर्श अपने आप में एक उपचार है. इसलिए उसका अधिकतम वक़्त अपने प्रीमैच्योर शिशु के नजदीक रहना उसके विकास में अहम भूमिका निभाता है. साथ ही इससे शिशु के किसी भी बदलाव पर आपकी नज़र रहती है और ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर से संपर्क किया जा सकता है.

    प्रीमैच्योर शिशु की देखभाल करना आसान नहीं है और इसके लिए ज़रूरत है धैर्य और खूब सारे प्यार की. निश्चित रूप से माता-पिता के लिए यह एक चुनौती भरा काम है पर इससे उनका अपने शिशु के लिए स्नेह और ज़्यादा बढ़ता है. एक प्रीमैच्योर शिशु को माता पिता का धैर्य और निरंतर देखभाल ही एक स्वस्थ जीवन दे सकती है.

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    Written by

    Sanju Rathi

    A Postgraduate in English Literature and a professional diploma holder in Interior Design and Display, Sanju started her career as English TGT. Always interested in writing, shetook to freelance writing to pursue her passion side by side. As a content specialist, She is actively producing and providing content in every possible niche.

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