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    Bronchitis vs Bronchiolitis in Hindi | ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाइटिस में क्या अंतर होता है?

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    Bronchitis vs Bronchiolitis in Hindi | ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाइटिस में क्या अंतर होता है?

    10 August 2023 को अपडेट किया गया

    ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाइटिस, क्लिनिकली अलग-अलग अवस्थाएं हैं। हालांकि, दोनों के कारण और लक्षणों में कई समानताएं हैं और कई बार तो इनका इलाज भी लगभग एक जैसा ही होता है। उदाहरण के लिए, दोनों के बीच एक समानता यह है कि दोनों में ही सूजन की शिकायत होती है, लेकिन दोनों में अंतर यह है कि दोनों फेफड़े के अलग-अलग हिस्से को प्रभावित करती हैं। ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाइटिस के बीच मुख्य अंतर यह है कि ब्रोंकाइटिस में ब्रोंकी को जाने वाली एयरवेज में सूजन आता है वहीं ब्रोंकियोलाइटिस में ब्रोंकी से शाखा के रूप में निकले एयरवेज जिन्हें ब्रोंकियोल्स कहा जाता है, उनमें सूजन की शिकायत होती है। यह बेहद सामान्य तरह के संक्रमण हैं जो किसी भी उम्र के लोगों में हो सकते हैं।


    ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाइटिस में अंतर (Bronchitis and Bronchiolitis Differences)

    वैसे तो ब्रोंकाइटिस से डरने की कोई बात नहीं है, लेकिन कई बार यह गंभीर होकर निमोनिया में बदल जाता है। अगर किसी को बार-बार ब्रोंकाइटिस के लक्षण दिखते हैं, तो उन्हें नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। ब्रोंकाइटिस बार-बार होने का मतलब है कि मरीज में क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज (COPD) की समस्या है और इसे तुरंत इलाज की जरूरत है।
    दूसरी तरफ, ब्रोंकियोलाइटिस के कई मामलों में इलाज आसानी से हो जाता है। इसके लक्षण सामान्य सर्दी से ज़्यादा नहीं होते। हालांकि, अगर गंभीर ब्रोंकियोलाइटिस का इलाज नहीं किया जाता है, तो इसकी वजह से सीने में होने वाली घरघराहट की वजह से परेशानी होती है और सेहतमंद जिंदगी नहीं जी पाते हैं। यह समस्या बड़े होने तक जारी रह सकती है और अगर गंभीर मामलों में सही इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा हो सकती है।
    कई बच्चे 3-5 दिन में घर पर ही ठीक हो जाते हैं या अस्पताल में 5 दिन भर्ती रहने के बाद ठीक हो पाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में बच्चों को सामान्य होने में एक हफ़्ते तक का वक्त लग सकता है।


    ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाइटिस के लक्षणों में अंतर (Difference Between Bronchitis and Bronchiolitis Symptoms)

    ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाइटिस में अंतर करना कई बार कठिन हो जाता है, क्योंकि इनके लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं। हालांकि, इन दोनों से प्रभावित जगहें अलग-अलग होती हैं। इन दोनों में यह एक मुख्य अंतर है। इन दोनों ही मामलों में लक्षणों की गंभीरता इनके हल्के से लेकर गंभीर होने पर निर्भर करती है।


    ब्रोंकाइटिस के लक्षण (Bronchitis Symptoms)

    • ब्रोंकाइटिस के लक्षणों में ये शामिल हैं
    • खांसी जिससे म्यूकस आने के अलावा सांस लेने में परेशानी हो
    • हल्का बुखार
    • ठंड लगना
    • थकना
    • सीने में दर्द या जकड़न
    • अगर खांसी तीन हफ़्ते से ज़्यादा समय तक रहती है और इंसान को रात में जागना पड़ता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। ब्रोंकाइटिस के गंभीर लक्षण हैं
    • खांसी
    • सीटी बजना या हरे रंग का म्यूकस आना
    • स्पटम में खून आना


    ब्रोंकियोलाइटिस के लक्षण (Bronchiolitis Symptoms)

    ब्रोंकियोलाइटिस के लक्षणों में ये शामिल हैं

    • तेज और सूखी खांसी
    • घरघराहट
    • हल्का बुखार
    • बंद नाक
    • नाक बहना
    • नवजात बच्चों में ब्रोंकियोलाइटिस के लक्षम गंभीर हो सकते हैं जैसे
    • सांस लेने में परेशानी
    • 50-60 की पल्स रेट
    • 101 डिग्री तक तेज बुखार
    • चिड़चिड़ापन
    • थकान
    • भूख में कमी
    • चेहरे पर नीली रंगत


    ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाटिस के कारण (Bronchitis and Bronchiolitis Causes)

    कुछ चीजें मिलकर ब्रोंकाइटिस और/या ब्रोंकियोलाइटिस का कारण बन सकती हैं।


    ब्रोंकियोलाइटिस (Bronchiolitis)

    अमेरिकन लंग एसोसिएशन के अनुसार, ब्रोंकियोलाइटिस बड़े बच्चों में अक्सर होती है। इसका कारण वायरल संक्रमण होता है और रेस्पीरेटरी सिंकिटियल वायरस, ब्रोंकियोलाइटिस के संक्रमण का मुख्य कारण है। यह वैसे तो साल में कभी भी हो सकती है, लेकिन ज़्यादातर यह ठंड के महीने में ज़्यादा होती है।


    एक्यूट ब्रोंकाइटिस (Acute Bronchitis)

    सेंटर ऑफ़ डिसीज कंट्रोल (सीडीसी) के अनुसार, एक्यूट ब्रोंकाइटिस का मुख्य कारण वायरस हैं। कुछ मामलों में, वायरल इंफेक्शन की वजह से सामान्य सर्दी हो सकती है। कुछ कम सामान्य मामलों में बैक्टेरिया के इंफेक्शन की वजह से ब्रोंकाइटिस हो सकता है।


    क्रोनिक ब्रोंकाइटिस (Chronic Bronchitis)

    दूसरी तरफ, अक्सर धूम्रपान, बायोमास ईंधन के धुएं या वायु प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय कारणों के संपर्क में आने से समय के साथ क्रोनिक ब्रोंकाइटिस बढ़ता है। यह लंबे समय में दिखने वाले असर हैं।


    ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाइटिस का पता कैसे लगाया जाता है? (How are bronchiolitis and bronchitis diagnosed?)

    रेस्पीरेटरी इंफेक्शन जैसे ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाइटिस के लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं। इस वजह से इनकी पहचान मुश्किल हो जाती है। यही कारण है कि कई बार बीमारी का पता लगाने में निमोनिया और अस्थमा जैसी परेशानियों को नकार दिया जाता है। कोई भी डॉक्टर आमतौर पर मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और मौजूदा लक्षणों को देखकर ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाइटिस की पहचान करते हैं। डॉक्टर शारीरिक जांच भी करते हैं जिसमें वे मरीज का ऑक्सीजन लेवल देखने के साथ-साथ सीने से आ रही आवाज भी सुनते हैं। कुछ मामलों में, डॉक्टर संक्रमण की जांच के लिए खून की जांच और एक्सरे करवाने के लिए भी कह सकते हैं।
    ब्रोंकियोलाइटिस की पहचान करने के लिए डॉक्टर एक टेस्ट करवा सकते हैं जिसका नाम नेसोफेरींजल स्वैब है। इसमें रेस्पीरेटरी सिंकिटियल वायरस की जांच की जाती है। यह वायरस ब्रोंकियोलाइटिस इंफेक्शन का आम कारण है। यही ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाइटिस के बीच अंतर करने का मुख्य पॉइंट है।


    ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाइटिस का इलाज (Bronchitis and Bronchiolitis Treatment)

    ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाइटिस दोनों में ही इलाज के लिए सपोर्टिव केयर की जरूरत होती है। इसमें बीमारी के लक्षणों को मैनेज करने और उन्हें ठीक करने पर ध्यान दिया जाता है। दोनों ही मामलों में घर पर इलाज किया जा सकता है। हालांकि, इन्हें ठीक करने में आगे बाताया गया इलाज भी काम आता है।


    ब्रोंकियोलाइटिस का इलाज (Bronchiolitis Treatment)

    ब्रोंकियोलाइटिस के लक्षणों का आगे बताए गए तरीके से इलाज किया जा सकता हैः

    • सलाइन नेजल स्प्रे के इस्तेमाल से
    • सिर ऊंचा करके सोने से सांस लेने में आसानी होती है
    • बच्चे जिनमें ऑक्सीजन का स्तर कम है और अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है, तो उन्हें ऑक्सीजन थैरेपी दी जा सकती है
    • हाइ-फ्लो नेजल कैनुला, एयरवेज के रेसिस्टेंस को कम करती है और एयर प्रेशर को भी घटाती है, इससे सांस लेने में आसानी होती हे

    ब्रोंकाइटिस का इलाज (Bronchitis Treatment)

    ब्रोंकाइटिस का इलाज इस तरह किया जा सकता हैः

    • लगातार लिक्विड पी कर
    • जरूरी आराम करके
    • सलाइन नेजल ड्रॉप इस्तेमाल करके
    • ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करके हवा में नमी लाने से, इससे सांस लेने में आसानी होती है
    • खांसी की दवाई लेकर
    • ब्रोंकोडाइलेटर्स मसलन एल्बुचेरोल का इस्तेमाल करके
    • सालाना फ्लू वैक्सीन की मदद से भी ब्रोंकाइटिस से बचा जा सकता है।

    इसलिए, जहां ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाइटिस लगभग एक जैसे हैं, इनकी वजह से इनकी पहचान मुश्किल हो जाती है। इतना ही नहीं, दोनों के बीच अंतर की वजह से इनका इलाज भी अलग-अलग हो सकता है।

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    Written by

    Parul Sachdeva

    A globetrotter and a blogger by passion, Parul loves writing content. She has done M.Phil. in Journalism and Mass Communication and worked for more than 25 clients across Globe with a 100% job success rate. She has been associated with websites pertaining to parenting, travel, food, health & fitness and has also created SEO rich content for a variety of topics.

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