Pregnancy
8 August 2023 को अपडेट किया गया
वैसे तो बनने वाली माताओं को मातृत्व अवकाश देने का चलन दुनिया भर में है, लेकिन धीरे-धीरे ये समझा जाने लगा है कि केवल माता ही नहीं हैं जिन्हे काम से अवकाश लेने की जरूरत है। बनने वाले पिताओं को पैटरनिटी लीव देने का चलन भी आजकल बढ़ रहा है।
पैटरनिटी लीव पिताओं को दी जाने वाली एक आधिकारिक छुट्टी है, जो उन्हें काम से दूरी बना कर घर पर रहकर अपने परिवार की देखभाल करने के लिए दी जाती है। छुट्टी का समय कई हफ्तों से लेकर महीनों तक होता है और ये या तो वैतनिक होता है या बिना वेतन के। हालांकि ज्यादातर वैतनिक अवकाश सामान्य वेतन के एक हिस्से की भरपाई होती है।
पैटरनिटी लीव मिलने से परिवार को कई फायदे होते हैं। माताओं को ज़बरदस्ती अपने काम से दूर होने और बच्चों की देखभाल के लिए छुट्टी लेने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। पिता के साथ होने से प्रसव के बाद स्वस्थ हों रही माताओं को जल्दी ठीक होने में आसानी होगी। इससे माताओं को नवजात शिशु की देखभाल करने में भी आसानी होगी। अध्ययन से पता चलता है कि माता-पिता की छुट्टी देने की पेशकश बच्चों की मृत्यु दर को 5% तक कम करने में मदद करता है।
अध्ययन से यह भी पता चलता है कि पैटरनिटी लीव लेने वाले पुरुष कर्मचारियों ने अन्य लोगों के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है और अपने पारिवारिक संबंधों में भी सुधार देखा है। काम से दूरी बना कर घर पर रहने का मतलब, घरेलू कामों को मिल बाँट कर करने से अधिक बच्चे के जन्म के शुरुआती दिनों के दौरान मौजूद रहने से अधिक है।
पैटरनिटी लीव के नियम
भारत में पैटरनिटी लीव सरकारी कर्मचारियों के लिए ही लागू है; 1999 में, नवविवाहित पुरुषों और होने वाले पिताओं के लिए पैटरनिटी लीव देने की शर्तें रखने के लिए सेंट्रल सिविल सर्विसेज ऐक्ट में संशोधन किया था। केंद्र सरकार के नियम 551(A) के तहत एक पुरुष कर्मचारी को 15 दिन तक का पैटरनिटी लीव प्राप्त होता है।
कर्मचारी के दो या दो से कम जीवित बच्चे होने चाहिए। बच्चे के जन्म से 15 दिन पहले से लेकर बच्चे के जन्म के 6 महीने के भीतर ही छुट्टी ले लेनी चाहिए। इस अवधि में छुट्टी ना लेने पर छुट्टी रद्द मानी जाएगी। कर्मचारी को पिछले वेतन के बराबर ही वेतन दिया जाएगा।
बच्चे को गोद लेने के समय भी यही नियम लागू होता है।
भारत में पैटरनिटी लीव उन्हीं को मिलती है जो सरकारी क्षेत्र में काम करते हैं।
हालांकि, भारत में निजी क्षेत्र में पुरुष कर्मचारियों को पैटरनिटी लीव देने की बाध्यता नहीं है क्योंकि भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है जो निजी क्षेत्र में पुरुष कर्मचारियों को पैटरनिटी लीव देने का नियम निर्धारित करता हो। इसलिए, अलग-अलग कंपनियां अपनी इच्छानुसार पैटरनिटी लीव से संबंधित नियम बनाती हैं।
भारत में पैटरनिटी लीव
हालांकि, यहां पैटरनिटी लीव से संबंधित कोई राष्ट्रीय नीति नहीं है, भारत की संघीय सरकार और साथ ही अधिकांश राज्य सरकारें पुरुष कर्मचारियों को बच्चे के जन्म के समय दो सप्ताह से अधिक या बच्चे के जन्म के 6 महीने के भीतर पैटरनिटी लीव देती हैं, बशर्ते कि कर्मचारी कानूनी तौर पर विवाहित हो। यह केवल केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर लागू होता है ना कि निजी कर्मचारियों पर।
भारत में मातृत्व अवकाश से संबंधित कानून अधिक मजबूत है और बेहतर ढंग से लागू किया जाता है। भारत में सरकारी और निजी दोनों कंपनियों में काम करने वाली महिलाओं को 12 सप्ताह का सवैतनिक अवकाश दिया जाता है जिसे दुनिया भर में सबसे अधिक दी जाने वाली छुट्टियों के तौर पर देखा जाता है। भारतीय कंपनियां 1961 मैटरनिटी बेनीफिट ऐक्ट के तहत मातृत्व अवकाश देने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य हैं। किसी भी कंपनी को कोई महिला गर्भवती है इस आधार पर उसे बर्खास्त करने की इजाज़त नहीं है। इस नियम का पालन ना करना 1961 मैटरनिटी बेनीफिट ऐक्ट के तहत गंभीर अपराध माना जाएगा।
भले ही निजी कंपनियों के लिए अपने पुरुष कर्मचारियों को पैटरनिटी लीव देना अनिवार्य नहीं है, लेकिन कई कंपनियां अपनी नीतियों के अनुसार पैटरनिटी लीव की सुविधा प्रदान करती हैं। उनमें से कुछ कंपनियां निम्न हैं:
पैटरनिटी लीव एप्लीकेशन एक औपचारिक अनुरोध होता है जो की पुरुष कर्मचारी अपने नवजात बच्चे की देखभाल करने के लिए वैतनिक या बिना वेतन के छुट्टी लेने के लिए करता है। पैटरनिटी लीव नए-नए अभिभावक को एक साथ नवजात बच्चे के पालन पोषण करने और बच्चे की जरूरी देखभाल करने में मदद करता है।
पैटरनिटी लीव एप्लीकेशन छोटा, सरल और कम से कम शब्दों में होना चाहिए। ‘ पैटरनिटी के लिए लीव एप्लीकेशन या “पैटरनिटी लीव एप्लीकेशन” को एक विषय के तौर पर शामिल करने का विचार बहुत अच्छा है।
लीव एप्लीकेशन के मुख्य हिस्से को उचित ढंग से रखना चाहिए और संक्षिप्त तरीके से लिखा जाना चाहिए। कुछ कारणों को औपचारिक तौर पर लिखा जाना चाहिए जैसे कि आपका घर पर अपने परिवार के साथ रहना क्यों जरूरी है। आपको अपने परिवार की देखभाल के लिए जिस समय अवधि में छुट्टी लेनी है उसकी तारीख लिखी होनी चाहिए। कंपनी के प्रति अपने जिम्मेदार रवैये को दिखाते हुए ऐसे सुझाव दिए जाने चाहिए जिससे कंपनी द्वारा आपको दिए गए प्रोजेक्ट के काम में कोई रुकावट ना आए। आपको यह साफ तौर पर बता देना चाहिए कि आपने अपने काम को सुचारु ढंग से चलते रहने के लिए किस सहकर्मी के बारे में सोच है। अगर कंपनी को किसी समस्या के संबंध में आपसे बात करने की जरूरत पड़े तो आपसे संपर्क करने के लिए अपना कॉन्टेक्ट नंबर उसमें जरूर देदें। जिस तारीख को आप वापस काम पर लौटने वाले हों उस पर जोर दिया जाना चाहिए।
पैटरनिटी लीव एप्लीकेशन को मैनेजर के सहानुभूति, सोच-समझ और समय देने के लिए आभार व्यक्त करते हुए समाप्त करना चाहिए।
भारत दुनिया भर के उन देशों में से एक है जो पुरुष कर्मचारियों को पिता बनने पर लाभ नहीं देता है। दूसरी तरफ, बहुत सारे देश कार्य क्षेत्र में पिता बनने पर लाभ प्रदान करने में शीर्ष स्थान पर हैं। जिनमें कुछ देश हैं:
पैटरनिटी और मैटरनिटी लीव दोनों ही पैरेंटल लीव का ही एक रूप है। साथ ही, वह अपने तरीके से अलग-अलग भी है। पैटरनिटी और मैटरनिटी लीव के समाप्त होने के बाद पैरेंटल लीव का आवेदन किया जा सकता है।
पैटरनिटी लीव पिता बनने पर कर्मचारी लाभ के रूप में पाया जाने वाला वैतनिक अवकाश है, जो कुछ सप्ताहों से महीनों तक हो सकता है। भारत में निजी क्षेत्रों में पिता बनने पर पैटरनिटी लीव के कानून का कोई प्रावधान नहीं है। पैटरनिटी लीव सरकारी कर्मचारियों के लिए यह छुट्टी लागू की गई और आवश्यक है। हालांकि, इस कानून के लिए बाध्य नहीं हैं इसलिए वो अपने अनुसार पैटरनिटी लीव के संबंध में नीतियां बनाते हैं। मैटरनिटी लीव बच्चे को जन्म देने वाली माताओं को कुछ महीने से एक वर्ष तक का सवैतनिक अवकाश होता है। नई माताएं मैटरनिटी बेनीफिट ऐक्ट 1961 के तहत 12 सप्ताह तक की मैटरनिटी लीव की हकदार होती हैं। हालांकि, भारत में मैटरनिटी लीव का फायदा उठाने के लिए कई नियमों का पालन करना पड़ता है। मैटरनिटी लीव का फायदा उठाने के लिए आपको कम से कम 80 दिनों तक काम करना पड़ता है। छुट्टी की अवधि डिलीवरी की तारीख से आठ सप्ताह पहले और शेष 18 सप्ताह डिलीवरी के मिल सकती है। मैटरनिटी लीव का नियम केवल स्थाई कर्मचारियों पर लागू होता है संविदा कर्मचारियों पर नहीं। कंपनियां मैटरनिटी बेनीफिट ऐक्ट 1961 के तहत कोई महिला गर्भवती है इस आधार पर उसे बर्खास्त नहीं कर सकती है। भारत में उन सरकारी या प्रतिष्ठानों पर मैटरनिटी लीव का नियम लागू होता है, जिसमें शारीरिक कौशल या श्रम की जरूरत हो सकती है। यह पिछले 12 महीने में नियोजित 10 सेअधिक लोगों वाले प्रतिष्ठानों पर भी लागू हो सकता है। राज्य सरकारें अधिनियम के नियमों को दूसरे प्रतिष्ठानों पर लागू करने का फैसला भी ले सकती हैं। सभी महिला कर्मचारी मैटरनिटी बेनीफिट ऐक्ट और मजदूरी सुरक्षा के तहत मातृत्व लाभ की हकदार हैं। कानून उन महिलाओं को भी लाभ पहुंचता है जिनका गर्भपात या ट्यूबेकटोमिस हुआ है। यदि आवश्यक होने पर महिला मेडिकल टेस्ट से गुजरने में विफल होती हैं तो एक बीमा पॉलिसी के तहत उसे मातृत्व लाभ पाने में अयोग्य साबित किया जा सकता है।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विस (TCS) कानूनी तौर पर अपने पुरुष कर्मचारियों को अवकाश नहीं देती। जबकि अपनी महिला कर्मचारिरियों के लिए वैतनिक छुट्टी देता है। जन्म देने वाली माँ तीन महीने की वैतनिक छुट्टी की हकदार होती है।
निजी क्षेत्रों में काम करने वाले पुरुषों के लिए पैटरनिटी लीव का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। चूंकि टाटा कंसल्टेंसी सर्विस एक निजी कंपनी है इसलिए यह अपने पुरुष कर्मचारियों को पैटरनिटी लीव देने के लिए बाध्य नहीं है।
भारत में पैटरनिटी लीव का प्रचलन नहीं है। लोगों की मानसिकता और देश में पितृसत्तात्मक ढाँचे के कारण इसको अधिकांश लोग नापसंद करते हैं। महिला और पुरुषों की बदलती हुई भूमिकाओं से आपस में तालमेल बैठाने और महिलाओं को एक माँ के साथ ही एक पेशेवर के रूप मे पहचान देना एक चुनौती है। पैटरनिटी लीव को अधिक लंबा नहीं किया जा सकता क्योंकि इसको पुरुषों के कैरियर में बाधा के रूप में देखा जाता है।
पैरेंटल लीव खास तौर पर पैटरनिटी लीव है, भारत में बहुत हद तक इच्छा पर आधारित है और यह कंपनियों के अपने विवेक और नियमों पर निर्भर करती है। भारत में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसमें पुरुष कर्मचारी को पैरेंटल लीव का प्रावधान हो, ताकि वह अपने परिवार की देखभाल कर सके। हालांकि,भारत में कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को पैटरनिटी लीव देती है लेकिन छुट्टी का फायदा उठाने के लिए कई नियम हैं।
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Written by
Priyanka Verma
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