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In this Article

    IVF Common Myths in Hindi | IVF से जुड़ी आम बातें : जानें क्या है सच और क्या है मिथ!

    In Vitro Fertilization (IVF)

    IVF Common Myths in Hindi | IVF से जुड़ी आम बातें : जानें क्या है सच और क्या है मिथ!

    18 September 2023 को अपडेट किया गया

    लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ कई तरह की समस्याएँ उभरकर सामने आने लगी है. इन्हीं में से एक है इनफर्टिलिटी (गर्भधारण न कर पाने की समस्या). देशभर में लगभग 10 से 15 प्रतिशत कपल्स ऐसे हैं, जो फर्टिलिटी से संबंधित समस्या का सामना कर रहे हैं. ऐसे में आईवीएफ उनके लिए एक उम्मीद की किरण बन रहा है. हालाँकि जो कपल्स इस विकल्प के बारे में सोच रहे होते हैं, उनके मन में कई तरह के सवाल होते हैं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि आईवीएफ से जुड़े कई तरह के मिथ फैले हुए हैं. इस आर्टिकल के ज़रिये हम आपको आईवीए से जुड़े कुछ ऐसे ही आम मिथ और उनकी सच्चाई के बारे में बताएँगे.

    आईवीएफ क्या है? (What is IVF in Hindi)

    इससे पहले कि हम आईवीएफ से जुड़े मिथकों के बारे में बात करें, सबसे पहले जान लेते हैं कि आख़िर आईवीएफ होता क्या है. आईवीएफ यानी कि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization ) एक फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है. आईवीएफ को हिंदी में भ्रूण प्रत्यारोपण के नाम से जाना जाता है. जब नेचुरल तरीक़े से गर्भधारण नहीं हो पाता है, तब डॉक्टर इस ट्रीटमेंट की सलाह देते हैं. इस प्रोसेस में एक महिला पार्टनर के एग्स और पुरुष पार्टनर के स्पर्म को लैब में आर्टिफिशियल तरीक़े से फर्टिलाइज़ किया जाता है. इस फर्टिलाइज़ेशन से एक भ्रूण (एम्बियो) डेवलप होता है, जिसे एक महिला पार्टनर गर्भ में ट्रांसफर किया जाता है. आईवीएफ से जन्म लेने वाले बेबी को टेस्ट ट्यूब बेबी (Test tube baby) कहा जाता है.

    इसे भी पढ़ें : शुरू से लेकर अंत तक ऐसी होती है आईवीएफ की प्रोसेस

    आईवीएफ का इतिहास (History of IVF in Hindi)

    आज के समय में आईवीएफ उन महिलाओं के लिए एक वरदान है, जो कुछ कारणों से माँ नहीं बन पाती. आपको जानकर हैरानी हो सकती है लेकिन इस तकनीक के पीछे एक महिला वैज्ञानिक का ही हाथ है. इस महिला वैज्ञानिक का नाम है- मिरियम मेनकिन (Miriam Menkin). मिरियम मेनकिन का मकसद ऐसी महिलाओं की मदद करना था, जिनकी बच्चेदानी (Uterus) तो सेहतमंद थी लेकिन फैलोपियन ट्यूब (fallopian tube) में गड़बड़ी थी. तकरीबन 6 साल की मेहनत और नाकामियों के बाद फ़रवरी 1944 में मिरियम को सफलता मिली. जब उन्होंने देखा कि लैब में जिस स्पर्म को उन्होंने एग के साथ रखा था, वो काँच की डिश में एक भ्रूण (Embryo) का रूप ले चुका है. यही से एक नये युग और तकनीक का आगाज़ हुआ. दुनियाभर में आज इसी तकनीक को इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization) यानी कि आईवीएफ (IVF) के नाम से जाना जाता है. वर्ष 1978 में दुनिया में पहला बच्चा आईवीएफ तकनीक से हुआ था. आईवीएफ प्रोसेस से जन्म लेने वाले इस बच्चे का नाम था लुईस ब्राउन (Louise brown).

    आईवीएफ से जुड़े आम सवाल और उनके जवाब (Common questions and answers related to IVF in Hindi)

    आईवीएफ को लेकर कई तरह के मिथ फैले हुए हैं. चलिए जानते हैं आईवीएफ से जुड़े आम मिथ, सवाल और उनके जवाब!

    सवाल 1 : क्या आईवीएफ से जन्म लेने वाले बेबी सामान्य बेबी की तरह ही होते हैं? (Are IVF babies different from normal babies?)

    जवाब : जी हाँ, आईवीएफ से जन्म लेने वाले बच्चे शारीरिक और मानसिक तौर पर ठीक वैसे ही होते हैं, जैसे कि नॉर्मल बेबी होते हैं. भले ही आईवीएफ से जन्म लेने वाले बेबी को टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है, लेकिन ये नॉर्मल बेबी से अलग नहीं होते हैं.

    इसे भी पढ़ें : IVF के बाद इस तरह दिखते हैं प्रेग्नेंसी के लक्षण!

    सवाल 2 : आईवीएफ इनफर्टिलिटी से जुड़े सभी मामलों के लिए सही विकल्प है! (IVF is suitable for all infertility cases)

    जवाब : इनफर्टिलिटी से जुड़े कुछ मामलों में आईवीएफ इफेक्टिव है. फर्टिलिटी से संबंधित अन्य मामलों में ओव्यूलेशन इंडक्शन (OI) या इंट्रा-यूटेराइन इनसेमिनेशन (IUI) जैसी प्रोसेस भी सहायक होती हैं.

    सवाल 3 : आईवीएफ केवल अमीर लोगों के लिए है! (IVF is only for rich people)

    जवाब : उच्च मध्यम वर्ग (Upper middle class) या मध्यम वर्ग (Middle class) और यहाँ तक कि सेवा वर्ग (Service class) के कई कपल्स आईवीएफ ट्रीटमेंट से सिर्फ़ इसलिए बचते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि आईवीएफ ट्रीटमेंट में बहुत खर्च आता है और यह सिर्फ़ अमीर लोगों के लिए है. इसलिए वे आईवीएफ सेंटर जाने से भी कतराते हैं. लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है. आईवीएफ ट्रीटमेंट अन्य मौजूदा सर्जिकल ट्रीटमेंट की तुलना में कम खर्चीला है.

    सवाल 4 : आईवीएफ से सिर्फ़ सिजेरियन डिलीवरी होती है! (IVF leads to cesarean delivery)

    जवाब : यह एक मिथ है कि आईवीएफ ट्रीटमेंट अपनाने के बाद सिर्फ़ सिजेरियन डिलीवरी होती है. वास्तव में ऐसा नहीं होता है. आईवीएफ से गर्भधारण करने वाली महिलाएँ भी नॉर्मल प्रेग्नेंसी की तरह बेबी को अपने गर्भ में रखती हैं और इस केस में भी नॉर्मल डिलीवरी की गुंजाइश होती है.

    इसे भी पढ़ें : आईवीएफ के बाद इन 10 बातों का रखें ध्यान!

    सवाल 5 : आईवीएफ प्रोसेस महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है! (IVF process is not safe for women)

    जवाब : ऐसा नहीं है. आईवीएफ प्रोसेस महिलाओं के लिए बिल्कुल सुरक्षित है. एक ऐसी तकनीक है जिस पर काफ़ी सालों से रिसर्च होती रही है. इसलिए यह माँ और बेबी दोनों के लिए सुरक्षित है.

    सवाल 6 : अधिक वज़न वाली महिलाओं पर आईवीएफ काम नहीं करता है! (IVF does not work on overweight women)

    जवाब : भले ही कोई महिला नेचुरल तरीक़े से गर्भधारण करे या फिर आईवीएफ से. दोनों ही स्थितियों में मोटापा गर्भधारण की प्रक्रिया को मुश्किल बना सकता है. हालाँकि, यह कहना कि अधिक वज़न वाली महिलाओं पर आईवीएफ काम नहीं करता है, पूरी तरह से ग़लत है. मोटापे के कारण एग काउंट में कमी हो सकती है लेकिन इसके कारण आईवीएफ असफल होगा, ऐसा नहीं है.

    सवाल 7 : आईवीएफ से कैंसर का खतरा बढ़ता है! (IVF increases cancer risk)

    जवाब : आईवीएफ से जुड़ा एक मिथ यह भी है कि इस ट्रीटमेंट के दौरान महिलाओं के शरीर में एक्सट्रा हॉर्मोन्स डाले जाते हैं, जिससे ब्रेस्ट कैंसर और ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है. कई रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि आईवीएफ से किसी भी तरह के कैंसर को बढ़ावा नहीं मिलता है.

    सवाल 8 : आईवीएफ पेशेंट को हॉस्पिटल में भर्ती रहना पड़ता है (The IVF patient needs to be admitted to the hospital)

    जवाब : एग कलेक्शन के लिए आईवीएफ पेशेंट को कुछ घंटो के लिए क्लिनिक में भर्ती रहना होता है. बहुत दिनों तक क्लिनिक या हॉस्पिटल में पेशेंट को नहीं रखा जाता है.

    इसे भी पढ़ें : आख़िर आईवीएफ फेल क्यों होता है?

    सवाल 9 : आईवीएफ से हमेशा जुड़वाँ बेबी होते हैं (Does IVF always result in twins?)

    जवाब : यह सच है कि आईवीएफ ट्रीटमेंट में मल्टिपल प्रेग्नेंसी होना कॉमन है. लेकिन एडवांस एआरटी तकनीकों का उपयोग करके सिंगल एम्बियों (एक भ्रूण) को भी ट्रांसफर किया जाता है.

    सवाल 10 : आईवीएफ का सक्सेस रेट 100% होता है! (IVF acquires 100% success rate)

    जवाब : यह एक मिथ है. 30 से 35 साल के उम्र के कपल्स में आईवीएफ की सफलता दर लगभग 40% होती है. इसके अलावा, आईवीएफ की सफलता दर पूरी तरह से इनफर्टिलिटी के कारण, उम्र, और हार्मोन्स संबंधित फैक्टर पर निर्भर करती है.

    उम्मीद है कि अब आप जान गए होंगे कि आईवीएफ से जुड़ी जितनी भी बातें हैं, उनमें कितनी सच्चाई है.

    प्रो टिप (Pro Tip)

    अगर आप आईवीएफ विकल्प के बारे में सोच रहे हैं, तो कही-सुनी बातों पर यक़ीन न करें. एक अच्छे आईवीएफ सेंटर या एक्सपर्ट से जुड़ें और उनसे बात करें.

    रेफरेंस

    1. Orvieto R, Vanni VS, Gleicher N. (2017). The myths surrounding mild stimulation in vitro fertilization (IVF).

    2. Choe J, Shanks AL. (2022). In Vitro Fertilization.

    3. Eskew AM, Jungheim ES. (2017). A History of Developments to Improve in vitro Fertilization. Mo Med.

    4. Rossi BV, Bressler LH, Correia KF, Lipskind S, Hornstein MD, Missmer SA. (2016). Lifestyle and in vitro fertilization: what do patients believe?

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    Written by

    Shaveta Kaushik

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