Pregnancy Journey
4 December 2023 को अपडेट किया गया
प्रेग्नेंसी एक महिला की ज़िंदगी का बहुत ही ख़ूबसूरत सफ़र होता है. जब एक महिला प्रेग्नेंसी के दूसरे महीने में आती है, तो उस समय उसका शरीर कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुज़रता है. इस आर्टिकल में जानिए कि आख़िर प्रेग्नेंसी के दूसरे महीने में एक महिला को किस तरह के लक्षण (Second month pregnancy symptoms in Hindi) महसूस होते हैं.
यूँ तो हर महिला का प्रेग्नेंसी का सफ़र अपने आप में अलग होता है. ज़रूरी नहीं है कि जो लक्षण एक महिला को महसूस होते हैं, वे सभी दूसरी महिला को भी महसूस होते हों. बहरहाल, यहाँ हम आपको दूसरे माह में महसूस होने वाले कुछ कॉमन लक्षणों (Pregnancy 2nd month symptoms in Hindi) के बारे में बताने जा रहे हैं!
प्रेग्नेंसी के दूसरे माह (7 week pregnancy symptoms in Hindi) में कई महिलाओं को स्पॉटिंग हो सकती है. हालाँकि, कई महिलाएँ इस स्पॉटिंग को पीरियड्स समझने की भूल कर बैठती हैं, जबकि असल में यह इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग होती है. इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग पीरियड्स में होने वाली ब्लीडिंग से अलग होती है. इसका कलर हल्के गुलाबी (लाइट पिंक) से लेकर गहरे भूरे रंग (डार्क ब्राउन) का हो सकता है.
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प्रेग्नेंसी के दूसरे महीने में (2 mahine ki pregnancy) में अक्सर महिलाएँ थकान और नींद न आने की शिकायत करती हैं. दरअसल, ऐसा हार्मोनल बदलाव के कारण होता है. साथ ही, इस दौरान (6 week pregnancy in Hindi) कुछ महिलाएँ प्रेग्नेंसी को लेकर कुछ ज़्यादा ही सोचती हैं. अधिक तनाव लेने के कारण उन्हें नींद न आने की समस्या होती है.
प्रेग्नेंसी के दूसरे माह में (Pregnancy ka 2 month in Hindi) आपको हल्का पेट दर्द हो सकता है. जैसे-जैसे प्रेग्नेंसी बढ़ती है, वैसे-वैसे यह दर्द भी बढ़ता जाता है. हालाँकि, अगर यह दर्द अधिक और लंबे समय तक होता है, तो ऐसी स्थिति में आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए.
प्रेग्नेंसी के पहले माह की तरह ही प्रेग्नेंसी के दूसरे माह (7 week pregnancy symptoms in Hindi) में भी महिलाओं को ब्रेस्ट के आकार में बदलाव महसूस हो सकता है. इसके अलावा, ब्रेस्ट में दर्द, भारीपन और सूजन की शिकायत भी हो सकती है.
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प्रेग्नेंसी के दूसरे माह (8 week pregnancy symptoms in Hindi) में बार-बार यूरिन पास करने की इच्छा महसूस हो सकती है. दरअसल, इस दौरान यूटरस का विकास होता है, जिसके कारण ब्लैडर पर प्रेशर पड़ने लगता है. इसलिए प्रेग्नेंसी के दूसरे महीने (8 week pregnancy in Hindi) में आपको वॉशरूम के कई चक्कर लगाने पड़ सकते हैं. इसके अलावा, इस दौरान आपको यूरिन के कलर में भी बदलाव देखने को मिल सकता है. यूरिन का रंग हल्का पीला हो सकता है.
प्रेग्नेंसी के दूसरे माह में (2 month pregnancy in Hindi) में महिलाओं को क़ब्ज़ का सामना भी करना पड़ता है. दरअसल, इस हार्मोनल बदलाव के कारण पाचन तंत्र कमज़ोर हो जाता है, जिसके कारण क़ब्ज़ की समस्या होने लगती है.
मॉर्निंग सिकनेस यानी कि मतली प्रेग्नेंसी के दूसरे माह (7 week pregnancy symptoms in Hindi) में महसूस होने वाला मुख्य लक्षण है. हालाँकि, मॉर्निंग सिकनेस एक ऐसा लक्षण है, जो महिलाओं को प्रेग्नेंसी के पहले माह से लेकर आख़िर माह तक महसूस हो सकता है. जी हाँ, कुछ महिलाएँ प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में यह लक्षण महसूस करती हैं, तो कुछ प्रेग्नेंसी के पूरे सफ़र में इसका सामना करती हैं.
अधिक भूख लगना भी प्रेग्नेंसी के दूसरे महीने का एक मुख्य लक्षण (symptoms of Pregnancy in second month in Hindi) होता है. प्रेग्नेंसी के दूसरे माह (8 week pregnancy in Hindi) में कई महिलाओं को पहले की तुलना में अधिक भूख लगने लगती है.
चक्कर आना भी प्रेग्नेंसी के दूसरे माह (7 week pregnancy in Hindi) का एक अहम लक्षण (2nd month of pregnancy symptoms in Hindi) है. प्रेग्नेंसी के दूसरे माह में कई महिलाओं को चक्कर आते हैं. ऐसा हार्मोन्स में उतार-चढ़ाव होने की वजह से होता है.
प्रेग्नेंसी के दूसरे माह (6 week pregnancy symptoms in Hindi) में वज़न बढ़ने लगता है. ऐसा गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के कारण होता है. इस तरह वज़न का बढ़ना भी प्रेग्नेंसी के दूसरे महीने का लक्षण (second month of pregnancy symptoms in Hindi) माना जाता है.
हार्मोनल बदलाव के कारण प्रेग्नेंसी के दूसरे माह (pregnancy 7 weeks symptoms in Hindi) में महिलाओं का मूड भी बदलते रहता है. कभी-कभी वे छोटी-छोटी बातों पर खुश हो जाती हैं, तो कभी-कभी छोटी-छोटी बातों पर रोने लगती हैं या फिर गुस्सा करने लगती हैं.
अब तो आप समझ गए होंगे कि प्रेग्नेंसी का दूसरा महीना (2 month pregnancy in Hindi) कैसा होता है और इस दौरान किस तरह के लक्षण (2 month pregnancy symptoms in Hindi) महसूस होते हैं. अगर आपको यह लक्षण गंभीर महसूस होते हैं, तो ऐसे में डॉक्टर से बात करने में बिल्कुल भी देरी न करें.
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प्रेग्नेंसी के दूसरे माह (2nd pregnancy symptoms in hindi) को हेल्दी और स्मूथ बनाने के लिए इन टिप्स को फॉलो करें!
अपनी डाइट में सब्ज़ी, फल, दाल, दूध, दही, अंडे और मेवे आदि को शामिल करें. फोलिक एसिड और विटामिन से भरपूर फलों और सब्ज़ियों का सेवन करें. बता दें कि फोलिक एसिड बच्चे के दिमाग़ और स्पाइनल कॉर्ड के डेवलपमेंट में मदद करता है. इसलिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार फॉलिक एसिड सप्लीमेंट्स का सेवन करें. साथ ही, फास्ट और प्रोसेस्ड फूड्स से दूर रहें.
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प्रेग्नेंसी के दौरान पानी का सेवन अधिक मात्रा में करें. शरीर में पानी की कमी आपके और बेबी दोनों के लिए नुक़सानदायक साबित हो सकती है. इस दौरान आप ताज़ा पानी या फिर नारियल पानी पी सकते हैं.
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प्रेग्नेंसी के दौरान आपका मानसिक तौर पर स्ट्रांग होना बहुत ही ज़रूरी है. इसलिए इस दौरान योग या मेडिटेशन को अपने रूटीन का हिस्सा बनाएँ. साथ ही, इस दौरान स्ट्रेस से बचने की कोशिश करें. इस समय स्ट्रेस लेना आपके और आपके बेबी के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है.
प्रेग्नेंसी के दौरान (8 week pregnancy in Hindi) अच्छी नींद लेना बहुत ही ज़रूरी है. कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लें. अगर आपको नींद नहीं आ रही है, तो रिलेक्स होने की कोशिश करें या अपनी कोई पसंदीदा बुक पढ़ें.
अगर आपको डॉक्टर ने कोई विशेष मेडिसिन या सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दी है, तो उनकी बात मानें. समय पर मेडिसिन लें. साथ ही, इस दौरान रेगुलर चेक-अप भी करवाते रहें.
प्रेग्नेंसी के दौरान कैफ़ीन और अल्कोहल का सेवन आपके और आपके गर्भ में पल रहे बेबी, दोनों के लिए नुक़सानदायक साबित हो सकता है. इसलिए इनका सेवन करने से बचें. अगर आपको चाय या कॉफ़ी पीना भी है, तो बहुत ही सीमित मात्रा में पिएं. हालाँकि, अल्कोहल का सेवन हर मायने में रिस्की है.
प्रेग्नेंसी एक महिला की ज़िंदगी का सबसे महत्वपूर्ण और खुशियों भरा समय होता है. प्रेग्नेंसी के दूसरे माह में कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं. हालाँकि, जिन महिलाओं के पीरियड्स अनियमित होते हैं या देरी से (35 से 40 दिन में) होते हैं, वे समझ ही नहीं पाती हैं कि वे प्रेग्नेंट हो चुकी हैं. अगर आपके पीरियड्स भी लेट आते हैं या अनियमित हैं, और आपको प्रेग्नेंसी के लक्षण महसूस होते हैं, तो आप घर बैठे ही माइलो प्रेग्नेंसी टेस्ट किट (Pregnancy test kit) की मदद से प्रेग्नेंसी कंफर्म कर सकते हैं. इस प्रेग्नेंसी किट की मदद से आप मिनटों में रिज़ल्ट जान सकते हैं.
1. Pascual ZN, Langaker MD. (2023). Physiology, Pregnancy.
2. Lutterodt MC, Kähler P, Kragstrup J, et al. (2019). Examining to what extent pregnancy-related physical symptoms worry women in the first trimester of pregnancy: a cross-sectional study in general practice.
3. Lee NM, Saha S. (2011). Nausea and vomiting of pregnancy.
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Written by
Jyoti Prajapati
Jyoti is a Hindi Content Writer who knows how to grip the audience with her compelling words. With an experience of more
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